चक्रवर्ती सम्राट महान अशोक का 2373 वीं जयंती मनाया गया।

चक्रवर्ती सम्राट महान अशोक का 2373 वीं जयंती मनाया गया।



सत्य, अहिंसा, दया, करुणा, जनकल्याण, सेवा, शांति, सद्भाव, सौहार्द के मार्ग पर चलने की जरूरत -  किरण देव यादव


महान अशोक के शासकीय व्यवस्था न्याय विकास शांति से आज के शासक को सीख लेने की जरूरत -  राकेश चंदन


महेशखूंट (खगड़िया)



चक्रवर्ती सम्राट महान अशोक का जयंती महेशखूंट काजीचक में मनाया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम सम्राट अशोक के प्रतिमा पर तैल चित्र पर माल्यार्पण पुष्पांजलि समर्पित करते हुए कोटि-कोटि नमन याद किया गया। तथा तथागत गौतम बुद्ध की जय एवं महान सम्राट अशोक की जय नारों का जयकारा किया गया वही बुद्धम शरणम गच्छामि का उद्घोष किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता देश बचाओ अभियान के संस्थापक अध्यक्ष सह बिहार प्रदेश पंच सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष सह प्रदेश उपाध्यक्ष किरण देव यादव ने किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी किरण देव यादव ने कहा कि चक्रवर्ती सम्राट महान अशोक का जन्म पाटलिपुत्रा में ईसा पूर्व 350 ईस्वी में हुआ था। महान अशोक चंद्रगुप्त मौर्य के पोता थे। उन्होंने अपने युद्ध कौशल के बदौलत साम्राज्य को काफी विस्तार किए। उन्होंने कलिंग युद्ध में अपनों को खोने एवं निर्दोष सैनिक व जान-माल की भारी क्षति से क्षुब्ध होकर युद्ध एवं साम्राज्य विस्तार की मानसिकता को त्याग दिया तथा सत्य अहिंसा करुणा दया सेवा शांति का मार्ग तथागत गौतम बुद्ध के उपदेश से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म को अपनाया। उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार , बौद्ध मंदिर का निर्माण के साथ-साथ अपने पुत्र पुत्री महेंद्र संघमित्रा को विश्व कल्याण व शांति हेतु बौद्ध धर्म की प्रचार प्रसार हेतु जीवन का सार संदेश दिये। श्री यादव ने कहा कि महान अशोक के शासकीय व्यवस्था आपसी प्रेम भाईचारा शांति सद्भाव सौहार्द सत्य अहिंसा करुणा दया विकास न्याय से वर्तमान शासक को सीख लेने की जरूरत है।

कार्यक्रम में झिकटिया के सरपंच राकेश यादव, समाजसेवी चंदन कश्यप, मुखिया प्रतिनिधि मुकेश यादव ने सम्राट अशोक के जीवनी पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए उनके जीवनी व्यक्तित्व कृतित्व से सीख लेने एवं उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचाने संकल्प लिया। 

अरविंद यादव, शैलेश यादव, शंभू यादव, मोहम्मद रिजवान, सुनील यादव, सतीश कुमार, कृष्ण कन्हैया बाबू , मिथिलेश यादव , धर्मेंद्र शाह , मोहम्मद सुहेल आदि सहित दर्जनों बुद्धिजीवियों ने महान अशोक को कोटि-कोटि नमन किया तथा बुद्धम शरणम गच्छामि का उद्घोष किया।

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