स्वामी महावीर का 2622 वीं जयंती एवं बाबा चौहरमल का 710 वीं जयंती मनाया गया

स्वामी महावीर का 2622 वीं जयंती एवं बाबा चौहरमल का 710 वीं जयंती मनाया गया।



सत्य अहिंसा करुणा दया सेवा शांति सद्भाव सामाजिक सौहार्द इंद्रधनुषी तहजीब के रास्ते चलकर ही विश्व का कल्याण संभव होगा - किरण देव यादव


सच्चे अर्थों में स्वामी महावीर सत्य अहिंसा के पुजारी एवं बाबा चौहरमल लोक-कुल देवता थे - किरण देव यादव। 


अलौली, खगरिया



देश बचाओ अभियान फरकिया मिशन के बैनर तले स्वामी महावीर का 2622 वीं जयंती एवं बाबा चौहरमल का 710 वीं जयंती अलौली पासवान टोला वार्ड नंबर 9 में मनाया गया। इस अवसर पर स्वामी महावीर एवं बाबा चौहरमल की जय नारों के साथ जयकारा किया गया तथा कोटि-कोटि नमन किया गया।

देश बचाओ अभियान के संस्थापक अध्यक्ष सह सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष किरण देव यादव ने कहा कि स्वामी महावीर के बताए रास्ते सत्य अहिंसा करुणा दया शांति सेवा सद्भाव सामाजिक सौहार्द इंद्रधनुषी तहजीब के रास्ते पर चलकर ही विश्व कल्याण संभव होगा। वहीं वीर बाबा चौहरमल की वीरता का बखान किया गया। तथा वीर चौहरमल का प्रचलित लोकप्रिय लोकगीत प्रस्तुत किया गया, जिसे उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर सराहा।

इस अवसर पर पूर्व पंचायत समिति सदस्य अजय पासवान, पूर्व वार्ड सदस्य रामशंकर सिंह सूलो महतो अमरजीत पासवान विकास पासवान विवेक पासवान अमरजीत यादव गोरेलाल पासवान मोहीचंद यादव छोटी लाल पासवान मुन्नी देवी निर्मला देवी लालू महतो विंदेश्वरी पासवान राजीव कुमार राजन पासवान आदि ने भाग लिया। सबों ने स्वामी महावीर एवं बाबा चौहरमल के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने एवं उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।

पंच सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष सह प्रदेश उपाध्यक्ष किरण देव यादव ने कहा कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का जन्म 599 ई पूर्व बिहार के कुंडाग्राम में हुआ था। हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को महावीर जयंती मनाया जाता है। वे सत्य अहिंसा करुणा दया सेवा शांति सद्भाव सौहार्द के प्रतिमूर्ति थे।

फरकिया मिशन के संस्थापक अध्यक्ष किरण देव यादव ने कहा कि बाबा चौहरमल सामंती दमन के विरुद्ध विद्रोह का तथा सामाजिक सौहार्द के प्रतीक थे। इनका जन्म 4 अप्रैल 1313 ईस्वी में चैत माह में पूर्णिमा को बिहार के मोकामा के निकट किसान परिवार पिता बंदीमल एवं माता रघुमती के घर हुआ। उन्होंने नानाबंदी संगठन बनाकर सामंती दमन का पुरजोर विरोध किया। राजा मोहम्मद बिन तुगलक ने चौहरमल के बहादुरी से प्रसन्न होकर 100 बीघा खेती योग्य जमीन दिये। रेशमा चौहरमल नाटक नाच आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय है। वे लोक देवता, कुल देवता के रूप में सुविख्यात है। उनका मृत्यु 120 वर्ष की आयु में 1 नवंबर 1433 ईस्वी में हुआ।

मिशन सुरक्षा परिषद के राष्ट्रीय सचिव किरण देव यादव ने कहा कि आज उक्त महामानव के जन्मस्थली बिहार में धार्मिक उन्माद नफरत फैलाकर दंगा फैलाई जा रही है, ऐसे लोगों को महावीर एवं चौहरमल के जीवनी व्यक्तित्व कृतित्व से सीख लेनी चाहिए।

कार्यक्रम में हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, बौद्ध जैन पारसी आपस में सब भाई भाई का नारा देकर सामाजिक सौहार्द एवं एकता का संदेश दिया।

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