Begusarai News:- विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर की 162 वीं जयंती मनाई गई।
बंग साहित्य के देदीप्यमान रत्न, विश्व कवि रवींद्रनाथ ठाकुर की 162 वीं जयंती शहीद सुखदेव सिंह समन्वय समिति के तत्वधान में सर्वोदय नगर के सुखदेव सभागार में बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई, जिसकी अध्यक्षता शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने की। अध्यक्ष संबोधन शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाई गई। उनका जन्म आज के दिन 7-05-1861 को बंगाल प्रांत में हुआ था। वह बापू द्वारिका नाथ ठाकुर के पुत्रऔर सुप्रसिद्ध महर्षि देवेंद्रनाथ ठाकुर के पुत्र थे। उनका वंश विदुत्ता के लिए चिरकाल से प्रसिद्ध है। आज सारा विश्व उनका ऋणी है। ऐसे महान विश्व कवि रवींद्रनाथ टैगोर की 162 वीं जयंती को सत सत नमन। इस अवसर पर राजद के प्रदेश महासचिव प्रोफेसर अशोक कुमार यादव ने कहा कि रवि बाबू बंग भाषा के देदीप्यमान रतन थे। उनके साहित्य और संगीत प्रतिभा 16 वर्ष की आयु से ही प्रकट होने लगी। वे बांग्ला भाषा साहित्यकार में सर्वाधिक चमक वाले छात्र के रूप में शोभा यमान हैं। ऐसे महान कवि को सत सत नमन। इस अवसर पर जिला उपाध्यक्ष डॉ जुल्फिकार अली कहा कि रविंद्र नाथ ठाकुर असाधारण प्रतिभा के धनी और कुशाग्र बुद्धि के अद्वितीय साहित्यकार थे। उन्होंने किसी कॉलेज में शिक्षा ग्रहण नहीं किया, फिर भी वे विभूति साहित्यकार विधाओं के कॉलेज थे। ऐसे महान कवि को मेरा सत सत नमन। इस अवसर पर जदयू के प्रदेश नेता रवि बाबू हमारे देश के वैसे कवि शान थे, जो विश्व में अपना नाम रोशन किया और देश के मान मर्यादा को आगे बढ़ाएं। ऐसे कवि को मेरा सत सत नमन। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष जेपी सेनानी राजेंद्र महत्व (अधिवक्ता) ने कहा कि रविंद्र नाथ ठाकुर हमारे भारत के कवियों में वैसे महान पुरुष थे, हर भाषा का ज्ञान बिना कॉलेज गए हुए, विश्व में नाम कमाया। वैसे महान कवि को पार्टी की ओर से, युवाओं की ओर से शत शत नमन। इस अवसर पर रवि शंकर पोदार गांधी समाजसेवी ने कहा कि रविंद्र नाथ टैगोर मानव जाति के समग्र भावों को शब्द चित्र द्वारा रविंचने में समर्थ थे। उनकी लेखनी किस शैली में सभी जातियों, समुदायों की आधुनिक मूल स्पष्ट झलकता था। ऐसे महान विश्वकवि रविंद्र नाथ टैगोर के विचार को आज के युवक समझे, जयंती तभी उनकी सच्ची जयंती सफल होगी।
इस अवसर पर छात्र अनिकेत कुमार पाठक, राजा कुमार, प्रशांत कुमार, नाम आदि ने उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया।


